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कीनेसियन और शास्त्रीय मॉडल


कीनेसियन और क्लासिकल मॉडल

अर्थशास्त्र में, दो मुख्य मॉडल हैं जो बताते हैं कि अर्थव्यवस्था कैसे काम करती है: कीनेसियन मॉडल और क्लासिकल मॉडल। ये मॉडल हमें यह समझने में मदद करते हैं कि खर्च, उत्पादन और रोजगार जैसे विभिन्न कारक अर्थव्यवस्था में कैसे परस्पर क्रिया करते हैं।

शास्त्रीय मॉडल

शास्त्रीय मॉडल सबसे पुराने आर्थिक सिद्धांतों में से एक है। इसे एडम स्मिथ, डेविड रिकार्डो और जॉन स्टुअर्ट मिल जैसे अर्थशास्त्रियों ने विकसित किया था। इस मॉडल का मानना ​​है कि अर्थव्यवस्था हमेशा अपने आप पूर्ण रोजगार प्राप्त करने में सक्षम होती है।

शास्त्रीय मॉडल के मुख्य बिंदु:

उदाहरण: नींबू पानी की दुकान की कल्पना करें। अगर नींबू पानी बहुत महंगा है और लोग इसे खरीदना बंद कर देते हैं, तो दुकान का मालिक कीमत कम कर देगा। जब कीमत कम हो जाएगी, तो ज़्यादा लोग नींबू पानी खरीदेंगे और दुकान का सारा नींबू पानी बिक जाएगा।

कीनेसियन मॉडल

कीनेसियन मॉडल को जॉन मेनार्ड कीन्स ने 1930 के दशक में महामंदी के दौरान विकसित किया था। इस मॉडल का मानना ​​है कि अर्थव्यवस्था हमेशा खुद को ठीक नहीं कर पाती और कभी-कभी उसे सरकार की मदद की ज़रूरत होती है।

कीनेसियन मॉडल के मुख्य बिंदु:

उदाहरण: एक खिलौने की दुकान की कल्पना करें। अगर लोग खिलौने नहीं खरीद रहे हैं, तो सरकार परिवारों को खर्च करने के लिए पैसे दे सकती है। जब परिवारों के पास ज़्यादा पैसे होंगे, तो वे ज़्यादा खिलौने खरीदेंगे और खिलौनों की दुकान ज़्यादा खिलौने बेचेगी।

शास्त्रीय और कीनेसियन मॉडल के बीच अंतर

क्लासिकल और कीनेसियन मॉडल के बीच कुछ प्रमुख अंतर इस प्रकार हैं:

वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोग

दोनों मॉडलों का उपयोग विभिन्न स्थितियों में आर्थिक नीतियों को निर्देशित करने के लिए किया गया है:

मुख्य बिंदुओं का सारांश

संक्षेप में, शास्त्रीय और कीन्सियन मॉडल अर्थव्यवस्था कैसे काम करती है, इस पर अलग-अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं:

इन मॉडलों को समझने से हमें यह देखने में मदद मिलती है कि वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न आर्थिक सिद्धांतों को कैसे लागू किया जा सकता है।

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